राम राम
रघुवंशियो की कुलदेवी – महाकाली (देव काली ):-
फैजाबाद : भगवान श्रीराम की कुलदेवी के रूप में प्रतिष्ठित मां बड़ी देवकाली हजारों सालों से भक्तों की मनोकामनाओं को पूरी कर रही हैं। नवरात्र के दिनों में तो मंदिर में मेले जैसा दृश्य रहता है। मंदिर में मां महाकाली, महासरस्वती व महालक्ष्मी प्रतिमा के रूप में विराजमान हैं।
सर्वप्रथम रघुवंश की कुल देवी महाकाली जी का वर्णन राजा रघु की दिग्विजय की कथा मे मिलता है । राजा रघु ने दिग्विजय पर निकलने से पहले क्वार (अश्विन) मास की नव रात्रि मे महाकाली की आराधना की थी ।तभी से अयोध्या नगर के समीप (वर्तमान मे फैजावाद) रघुवंश की कुलदेवी प्रतिष्ठित है ।
जब भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था तब माता कौशल्या उन्हें देवकाली मंदिर लेकर आई थीं।बाद मे अयोध्या नरेश सुदर्शन ने यहाँ मंदिर बनवाकर पुनः महाकाली या देवकाली की स्थापना कर वायी थी
देवी भागवत के मुताबिक इस मंदिर व मां देवकाली की स्थापना भगवान श्रीराम के बड़े पुत्र कुश के वंश मे उत्पन्न अयोध्या के राजा सुदर्शन ने की थी।400 ईपू नंद वंश के महापदमनंद ने अयोध्या के रघुवंशी राजा सुमित्र को हराकर अयोध्या को नष्ट कर दिया था ।तब इस मंदिर को भी बहुत क्षति पुहुचायी थी । बाद मे उज्जैन के परमार राजा विक्रमादित्य ने रामजन्मभूमि मंदिर के साथ साथ देवकाली मंदिर का जीर्णोद्वार करवाया था । 17 वी औरंगजेव ने इस मंदिर को वहुत नुकसान पुहुचाया ।
वर्ष 2003 में प्रख्यात आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। उन्होंने मंदिर के गर्भगृह समेत अन्य स्थानों पर पत्थर लगवाए और पोखर की सफाई कराई। पक्का पांच बीघा में बने इस मंदिर का जीर्णोद्धार श्रीश्री रविशंकर से पहले स्व. प्रताप सिंह ने कराया था। जीर्णोद्धार के मौके पर पोखर की सफाई गई, जिसमें पोखर में सात कुएं भी दिखाई दिए थे।
इतिहासकार डॉ. महेंद्र पाठक कहते हैं कि यह देवी भगवान श्रीराम की कुलदेवी मानी जाती हैं और इस हिसाब से यह मंदिर महज हजार साल ही नहीं बल्कि कई हजार साल पुराना है। अंग्रेजों ने इस मंदिर को 18वीं शताब्दी में राजा दियरा को दे दिया और मौजूदा समय में रामलखन पाठक इस मंदिर के मुख्य अर्चक हैं।
आरती का समय
मां देवकाली मंदिर में सुबह चार बजे माता की आरती होती है। मंगला आरती के उपरांत शाम आठ बजे शयन आरती की जाती है। आरती में भारी संख्या में भक्तगण जुटते हैं। नवरात्र के साथ ही आम दिनों में भी इस मंदिर में भक्तों की भीड़ मौजूद रहती है।
रविन्द्र रघुवंशी
Recent Comments