जानिए गुजरात के रघुवंशी ओर लाहोरगढ के राणा रघुकुलभूषण ठाकुर वीर श्री जसराजसिंह जी राणा के बारे में l
कश्मीर के कवी कलहर ने अपनी पुस्तक “राजतरंगिणी ” में रघुवंशी लोहराना ओ का उल्लेख हे। इसके आलावा राजपूतो का इतिहास ,, लाहोर का इतिहास , अफ़ग़ानिस्तान का इतिहास में भी रघुवंशी लोहराना के राजा ओ का उल्लेख हे। जब चाइनीज़ संत ” यू अन संग ” की भारत भ्रमण की बुक ” आयनों इ अकबरी ” और ” जलाल ऐ जंग नामा ” में भी रघुवंशी लोहराना का उल्लेख किया हे।। श्री रामचंद्रजी के पुत्र लव के वंशज यानि लोहराणां ( लोहाना) ई स, 11 मी सदी में। जब इस्लामिओ और अरबी ओ ने हमला किया था तब उसके सामने रघुवंशी लोहरानाओ ने बलिदान दिया था। इतिहासकार कर्नल टोंड ने तो यहाँ तक कहा हे की प्राचीन भारत की कोई क्षत्रिय कॉम हे तो वो रघुवंशी लोहराना हे।। लव के वंशज लोहराना ओ के कई राज्य थे जिनमे लदाक्,, लेह,लोहरप्रदेश, कहोसल( काबुल ) लोहरगढ़। लोहराना ओ की राजधानी लोहगढ़ थी जो आज पाकिस्तान का लाहोर हे। लाहोर नाम ही रघुवंशी लोहराना की ऊपर से पड़ा हे।।
अब बात करते हे रघुवंशी लोहराना के वीर सम्राट जसराजसिंहकी। जिसका इतिहास कभी किसी ने नहीं बताया। सम्राट जसराजसिंह का जन्म 1032। हुवा था, राज्याभिषेक 1048। और उसकी वीरगति 1058 में हुई थी।
रघुवंशी लोहराणा ओ के 24 राज्य थे। जो लोहार 24 या रघुवंशी 24 से जाने जाते थे। और उस चोबीस राज्य के जागीरदार ठाकुर वसुपाल रघुवंशी थे। ठाकुर वसुपाल के घर में इस 1032 में कुंवर जसराजसिंह का जन्म हुवा। और उसके साथ कुंवर वछराज का भी जन्म हुवा। कुंवर वछराज बड़े थे।
जब इस्लामिओ के साथ युद्ध हुवा तब उस युद्ध में ठाकुर वसुपल की मृत्यु हुई। तब उसके बड़े बेटे कुंवर वछराज को गद्दी दी। लेकिन इस्लामिओ के घोको से कुंवर वछराजसिंह के दोनों पैर काट दिए। और तब सिर्फ 16 वर्ष की उम्र में 1048 में कुंवर जसराजसिंह का राज्यभिशेक हुवा।
उस समय चंगीज़खान जो दुनिया में बड़ा आतंक फैलाता था। उसकी नज़र लोहगढ़ में पड़ी। और तब 1050 में चंगीज़खान की सेना ने रघुवंशी लोहराना ओ के साथ युद्ध किया। लेकिन युद्धमे मुल्तान के किल्ले में। कुंवर जसराजसिंह ने तलवार के एक ही प्रहार से चंगीज़खान को मार डाला। तब जसराजसिंह की उम्र 18 साल की थी, और उसकी सेना का भी खत्म किया। और तब 1050 में कुंवर जसराजसिंह दुनिया का सबसे बड़ा सम्राट बने। और उस समय ठाकुर जसराजसिंह ने काबुल ,,बिजनोर,, और ऐसे 15 इस्लामी राज्यो में, रघुवंशी ध्वज फेलाया।
ठाकुर जसराजसिंह की शादी उंडकोट की राजकुमारी हिरमा कवर से तय हुई। जब शादी के चार फेरे हुवे तबखबर आई कि इस्लामी ओ ने हमला करदिया हे। तब ठाकुर जसराजसिंह रघुवंशी शादी छोड़ के युद्ध के लिए निकले। युद्ध में पिच्छेसे इस्लामिओ ने हमला किया तो ठाकुर जसराजसिंह का मस्तक अपने शरीर से अलग हो गया। लेकिन उस रघुवंशी वीर ने बिना मस्तक सिर्फ अपने शरीर से युद्ध किया। और सिर्फ 8 घंटे में पूरी सेना को मारडाला फिर भी वो शांत नहीं हो रहे थे। तब दूसरे रघुवंशी लोहर ठाकुरो ने जसराजसिंह को शांत किया और वो वीरगति पमे। और रघुवंशी ध्वज अखंड रखा। आज भी लाहोर के अलसफ म्यूज़ियम में जसराज सिंह की मूर्ति और उसकी तलवार मौजूद हे।
तब से गुजरात के रघुवंशी लोहराना अपनी शादी में जो दूल्हा होता हे। वो सफ़ेद रंग का केइस और दुल्हन सफ़ेद रंग की चुनरी रखती हे। सफ़ेद रंग शोक का रंग हे। आज भी रघुवंशी लोहरना अपनी शादी में शोक मनाते हे। जसराजसिंह की याद में।और आज भी लाहोर का इतिहास आप पढोगे तो उसमे रघुवंशी लोहराना का उल्लेख आज भी हे। गुजरात के पोरबंदर गांव में रघुवंशी लोहरना ओ ने,, ठाकुर जसराजसिंह का मंदिर भी बनवाया हे।
Recent Comments