चर्मकार
6000BC से इस देश मे लोग कपास के बने कपडे पहनते थे।
और बाकि दुनिया मे चमडे के।
14 वी शताब्दी तक यूरोप के लोग और विद्वान इमेजिन भी नही कर पा रहे थे कि कपास का जानवर कैसा पेड पौधा है। वो कल्पना करते थे कि भारत मे एसा पेड होता है जिसपर भेड टाइप जीव फल की तरह उगते है।
सूत गर्मियो मे ठंडा और सर्दियो मे गर्मी देता है। और चमडा सिर्फ गर्मी देता है। ( ये अलग बात है कि अरब वाले भी चमडा पहनते थे। )
इसके आलावा भी लोग इस देश मे ये तो नंगे पैर रहते थे या फिर लकडी की खडाऊयो का जिक्र है।
मतलब चमडे की खपत इस देश मे कम से भी कम ही रही है। फिर 1901 की जनगणना मे चमडे का काम करने वाला वर्ग दूसरी सबसे बडी जनसंख्या थी।
इतनी भारी संख्या चर्मकार जाति इस देश मे क्यो और कैसे आई जब चमडे को खपत नही थो इतनी ?
सभी जातियो से कोई ना कोई पौराणिक भगवान या देवता जुडा है जो उस जाति के अराध्य है। पर इस जाति से जुडा भी कोई प्राचीन देवता नही ? एसा क्यो?
✍️🏻 अजातशत्रु पंडित



—#राज_सिंह—
Recent Comments